भारत के उत्तरप्रदेश प्रान्त से सांप्रदायिक माहौल के बीच से एक ऐसा मामला सामने आया हैं. शिछक दिवस के मौके पर एक शिछक ने वास्तव में यह साबित कर दिया कि शिछक और विद्यार्थी का कोई मज़हब नहीं होता हैं. यहाँ 18 वर्षीय एक हिन्दू समुदाय की लड़की ने एक मुस्लिम लड़की को इस्लाम धर्म कि पवित्र किताब क़ुरान की शिक्षा दे रही हैं.
भारत के एक अंग्रेजी अख़बार द टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए इस हिन्दू महिला पूजा कुशवाहा ने बताया कि कैसे उसने अरेबिक ज़ुबान सीखी और फिर किस तरह क़ुरान की शिक्षा देनी शुरू की.
कुशवाहा ने बताया मुझको पवित्र किताब क़ुरान पढ़ने में बहुत रुचि थी, जिस कारण मैं पवित्र किताब कुरान की तालीम लेने जाने लगी. और जल्द ही सीखने लगी. मेरी माँ हिन्दू समुदाय से बिलोंग करती थी जबकि मेरे पिता एक मुस्लिम परिवार से थे और मेरी माँ बच्चो को कुरान पढ़ाया करती थी.”
उन्होंने बताया कि शुरुआत में ज़्यादातर बच्चे गरीब परिवार के थे और वो इसके लिए पैसे नहीं दे पते थे तो मैंने उनको बिना किसी फीस के पढ़ना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे बच्चो की संख्या बढ़ती गयी और घर छोटा था तो मैंने मंदिर में पढ़ाना शुरू कर दिया, आज मेरे पास करीब 35 बच्चे क़ुरान सीखने आते हैं.
शहर के एक प्रमुख मुस्लिम लीडर हाजी जमीलउद्दीन कुरैशी ने कहा कि, “यह बहुत ख़ुशी की बात हैं कि सांप्रदायिक सौहार्द के ऐसे उदाहरण हमारे शहर में मौजूद है.”
Web-Title: Hindu girl teaches Holy book Quran
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