तुर्की में सरकार के खिलाफ सेना की नाकाम बगावत के बाद विद्रोही सैनिकों की गिरफ़्तारी लगातार जारी हैं. तख्तापलट की असफल कोशिश के बाद से अब तक हज़ारो लोगो को हिरासत में लिया जा चुका हैं. जिसमे सैन्य अधिकारी सहित न्यायलय के न्यायाधीश भी शामिल हैं.
तुर्की के प्रधान मंत्री बिनाली यिल्दरिम ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि “तख्तापलट की कोशिश को देश के लोकतांत्रिक इतिहास में काला धब्बा करार दिया है.
उन्होंने बताया कि विद्रोही सेना की इस नाकम कोशिश में अब तक 161 लोग मारे गए हैं जिनमें कई आम नागरिक हैं और तकरीबन 1500 लोग ज़ख़्मी हो गए हैं.
प्रधान मंत्री ने कहा कि, इस विद्रोह में शामिल कुर्दिस्तान के उग्रवादी अतिवादी संगठन पीकेके से भी बुरे चरमपंथी संगठन हैं. हमने अब तक षड़यंत्र रचने वाले 20 विद्रोहियों को मार दिया हैं. फिलहाल परिस्थितियां अब हमारे नियंत्रण में है.
हालाँकि अभी तक इस बात की सूचना नहीं प्राप्त हो पाई हैं कि विद्रोहियों कि इस कदम कि पीछे किसका हाथ हैं.
देश के राष्ट्रपति एरडोगन ने इस घटना के पीछे अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम धर्मगुरु फ़तहुल्लाह गुलेन की तरफ इशारा किया हैं, वही गुलेन ने एक बयान जारी कर खबरों को साफ़ कर दिया है के उनका इस घटना में कोई हाथ नहीं हैं.
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