बांग्लादेश के तुर्की के दूत ने मंगलवार को कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद करने वाला पहला मुस्लिम देश तुर्की है. बांग्लादेश ने तुर्की का शुक्रिया अदा किया.
राजदूत एम. अल्लामा सिद्दीकी ने एक प्रेस मीटिंग में कहा, “मुस्लिम उम्माह [राष्ट्र] के हितों को बढ़ाने और रोहिंग्या संकट पर बांग्लादेश के लिए उनके समर्थन को बढ़ाने के लिए तुर्की की सक्रिय भूमिका और सहयोग की सराहना की.” उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि एर्दोगान ने ही इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) की बैठक में रोहिंग्या शरणार्थियों की समर्थन में आवाज़ उठायी, पिछले साल सितंबर में हुई थी.
बढते संकट को देखते हुए, राष्ट्रपति एर्दोगान ने दुनिया भर के मुसलमानों आग्रह किया कि, वह रोहिंग्या के मुसलमानों की मदद के लिए सामने आयें. कई क्षेत्रीय संकटों और चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होना होगा. एर्दोगान ने कहा कि, सभी मुस्लिम देशों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि वे रोहंग्या मुसलमानों के दर्द को खत्म कर सकें.

संकट में बांग्लादेश की भूमिका पर नजर डालते हुए राजदूत सिद्दीकी ने कहा कि बांग्लादेश ने लाखों जबरन विस्थापित राखिने मुसलमान शरणार्थियों को छत की है और वह रोहिंग्या की मदद भी कर रहा है. वर्तमान में, बांग्लादेश में रह रहे लगभग 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम हैं. दूत ने कहा, अब बांग्लादेश के लिए दोनों आर्थिक और जनसंख्या के लिए बड़ी समस्याएं पैदा होने लगी है. जिसका जल्द से जल्द निपटान करने की ज़रूरत है.
सिद्दीकी ने जोर देते हुए कहा कि म्यांमार इस समस्या को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है. म्यांमार के अधिकारियों ने रोहंग्या मुस्लिमों के प्रत्यावर्तन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए है.

उन्होंने कहा कि, रोहिंग्या शरणार्थियों को जल्द से जल्द म्यांमार भेजने के लिए काम किया जा रहा है. शुरुआत में हर हफ्ते 1,500 शरणार्थियों को वापस भेजने की उम्मीद है. दो सालों में करीब 8,00,000 लोगों की वापसी को पूरा करने की उम्मीद की जा रही है.