दुनियाभर में इस्लाम को लेकर जो फोबिया फैला हुआ है वो लोगो को मुस्लिम समुदाय और इस्लाम की सही छवि पेश करने से रोक रहा है. अभी पिछले दिनों हवाई जहाज़ में एक महिला को सिर्फ इस बात पर रोक कर तलाशी ली गयी की वो प्लेन में सीरिया पर लिखी किताब पढ़ रही थी. सन 1015 में जब तमाम दुनिया अपनी रुढ़िवादी परम्पराओं को लेकर आपस में लड़ झगड़ रही था उस समय इस्लाम और मुस्लिम देश साइंस मेडिसिन, खगोल, गणित, चिकित्सा में दिन दुनी रात चौगनी तरक्की कर रहे थे. मुस्लिम देशो की लोकतंत्र का यह हाल है की पकिस्तान और बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों में महिला प्रधानमंत्री को बहुमत से चुना जाता है वहीँ अमेरिका में आजतक को महिला प्रेसिडेंट नही हुई है. लन्दन में सादिक खान के मेयर निर्वाचित होने के बाद यह मुद्दा छिड़ गया कि कभी मुस्लिम देशो में गैर-मुस्लिम नेता नियुक्त नहीं किये जाते या इसाई नेता नहीं चुने जाते हैं. देखा गया हैं कि अधिकतर लोगो की यह मानसिकता बन गयी हैं.
इस बहस के बाद एक एक ऐसी लिस्ट सामने आई है जहा पर मुस्लिम प्रबल होने के बावजूद इसाई नेताओ को चुना गया हैं.
यहाँ पर उन देशो की सूची दी जा रही हैं. इन आठ मुस्लिम देशो में लन्दन में सादिक खान के चुने जाने से पहले इसाई नेताओ को निर्वाचित किया जा चूका हैं.
1-फेब्रुनीये अक्योल, तुर्की की मार्दिन शहर की उप-मेयर, जहा पर मुस्लिम की जनसँख्या लगभग 99 फ़ीसदी हैं.
2-बासुकी तजहय पुर्नमा, इंडोनेशिया की राजधानी जकारता के गवर्नर. यहाँ पर मुसलमानो की जनसँख्या 88 फ़ीसदी के करीब हैं.
3-अलीस थॉमस सामान, बहरीन के ऊपरी सदन की संसद बनने वाली पहली महिला और पहली इसाई महिला, जबकि यहाँ पर मुसलमान 70 फ़ीसदी हैं.
4-कामरान माइकल, पाकिस्तान के बंदरगाहों और शिपिंग के मंत्री, जबकि पाकिस्तान में मुसलमानो की जनसँख्या 96 फ़ीसदी हैं.
5-बाउट्रोस बाउट्रोस घाली, जिन्होंने मिस्र के विदेश मंत्री की हैसियत से 14 साल सेवा दी. और यहाँ मुसलमानो की जनसँख्या 90 फ़ीसदी हैं.
6-जेनेट मेकल, फिलिस्तीन के रामलल्ला शहर की मेयर
7-सेडर सेंघोर, जिन्होंने 20 साल ताल सेनेगल का राष्ट्रपति पद संभाला और यहाँ 95 फ़ीसदी मुसलमान रहते हैं.
8-मिचेल सुलैमान, लेबनान के राष्ट्रपति रह चुके. जबकि लेबनान में 54 फ़ीसदी मुसलमान हैं.
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